दुसरों के गुण व अपनी गलतियां देखा करो:-
माँ बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में करवाया श्रृखलाबद्ध सप्ताहिक दिव्य मां बगलामुखी हवन यज्ञ
शनि अमावस्या पर विशेष आलौकिक हवन-यज्ञ 14 अक्टूबर शनिवार को
मां बगलामुखी धाम नजदीक लम्मां पिंड चौंक होशियारपुर रोड़ पर स्थित गुलमोहर सिटी में धाम के संस्थापक एवं संचालक नवजीत भारद्वाज की अध्यक्षता में साप्ताहिक मां बगलामुखी हवन यज्ञ करवाया गया। सबसे पहले ब्राह्मणों द्वारा नवग्रह, पंचोपचार, षोढषोपचार, गौरी, गणेश, कुंभ पूजन, मां बगलामुखी जी के निमति माला जाप कर मुख्य यजमान अमन से सपरिवार पूजा अर्चना उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाईं । इस यज्ञ में उपस्थित मां भक्तो को आहुतियां डलवाने के बाद नवजीत भारद्वाज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा मां के भक्तों को बताया कि गुण और दोष सिक्के के दो पहलु की तरह हैं। किसी भी व्यक्ति में ये दोनों ही चीजें विद्यमान रहती हैं। ऐसा कोई इंसान नहीं, जिसमें सिर्फ गुण ही गुण हो, कोई दोष न हो। इसी प्रकार ऐसा भी नहीं हो सकता है कि किसी के अंदर सिर्फ दोष ही हों कोई गुण न हो। व्यक्ति को चाहिए कि दूसरों के गुणों को देखे, उनमें दोष न ढूंढे। दोष ढूंढने ही हैं तो अपने अंतर्मन में झांकें। अपने अंदर के दोष दूर करके अच्छा इंसान बनने का प्रयत्न करना चाहिए। बच्चो को भी परिवार से ही यह सीख मिलना चाहिए कि वे आत्म अवलोकन करने की आदत डालें। अपनी बुद्धिमत्ता की परख स्वयं करना सीखें। भावना के स्तर पर चीजों को महसूस करें। अच्छी भावना के साथ किए जाने वाले कार्यों का परिणाम भी अनुकूल निकलता है।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज से ही सीखता है। जैसे समाज में रहेगा, उसका आचरण उसी के अनुरूप होगा। महाकवि संत तुलसीदास ने भी रामचरित मानस में लिखा है कि बिनु सत्संग विवेक न होई। अर्थात गुणवान बनने के लिए अच्छे लोगों का साथ करना चाहिए। लोग आत्म अवलोकन नहीं करते बल्कि दूसरों के दोष गिनाने लगते हैं। परिवार के बड़े लोग जब ऐसा करते हैं तो उसका असर बच्चों पर भी पड़ता है। बच्चों को शुरू से ही यह सिखाना चाहिए कि दूसरों के दोष न देखें बल्कि उनके गुणों को देखकर आत्मसात करने का प्रयत्न करें। अक्सर लोगों को दूसरों के दोष तो दिखाई देते हैं लेकिन उनके गुण नहीं। यह प्रवृत्ति उचित नहीं है। वास्तव में दूसरों के गुणों को देखकर ही हम अपने अंदर के दोष दूर कर सकते हैं।
मां बगलामुखी धाम के सेवादार नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि हमेशा दूसरों के गुण देख-सुनकर गुणवान बनो। अपना आंतरिक अवलोकन करके अंत:करण से दोष निकालकर गुणग्राही बनना चाहिए। ऐसा करके ही समाज उत्थान में अपनी सही भूमिका निभा सकते हैं। दूसरी महत्वपूर्ण समस्या आती है भावनात्मक। इस संबंध में एक कवि ने कहा है कि जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं। भावहीन व्यक्ति पाषाण की तरह है। जो दूसरों को देखकर दुख महसूस न करे, उसे निष्ठुर ही कहेंगे। भावनात्मक एकता ही परिवार, समाज और राष्ट्र को एक दुसरे से जोड़े रखती है। मनुष्य केवल बुद्धिबल के सहारे ही समस्त प्राणि जगत पर शासन करता है। जिसके पास बुद्धि है, उसी के पास बल है। बुद्धि के अभाव में मनुष्य का कोई महत्व नहीं है।
इस अवसर पर उन्होंने ‘ दुसरों के गुण व अपनी गलतियां देखा करो कुछ गरीबों की भी जाकर बस्तियां देखा करो भजन गाकर उपस्थित मां भक्तों को भगवती मां बगलामुखी जी के साथ जोड़ा।
मां बगलामुखी धाम के सेवादार श्री कंठ जज ने बताया कि श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त आलौकिक शनि अमावस्या पर विशेष हवन-यज्ञ 14 अक्टूबर दिन शनिवार को मंदिर परिसर में किया जा रहा है उन्होंने ऐसे विशेष आयोजन पर सभी भक्तों को बड चड कर सम्मिलित होना चाहिए।
इस अवसर पर राकेश प्रभाकर,राजेश महाजन, समीर कपूर, जसविंदर सिंह,अमरजीत सिंह, केविंन शर्मा,गौरी शर्मा, मनीष कुमार,बावा खन्ना,संजय,बावा जोशी,भानू मल्होत्रा,बावा हलचल, बलदेव राज,विनोद खन्ना, दिशांत शर्मा,अभिलक्षय चुघ,सोनू छाबड़ा, सुनील जग्गी, अशोक शर्मा, हरविंदर सिंह,सौरभ मल्होत्रा,प्रिंस, राकेश, केहर सिंह, प्रदीप शर्मा,ठाकुर बलदेव सिंह,प्रवीण, सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया