मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में हुआ मां बगलामुखी जी के निमित्त दिव्य हवन यज्ञ
जालंधर। मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मां पिंड चौक में मां बगलामुखी जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में मां बगलामुखी धाम के संचालक एवं संस्थापक नवजीत भारद्वाज की देख-रेख में हुआ। सर्व प्रथम मुख्य यजमान चेतन नाथ मैहता से वैदिक रीति अनुसार गौरी गणेश, नवग्रह, पंचोपचार, षोडशोपचार, कलश, पूजन उपरांत ब्राह्मणों ने आए हुए सभी भक्तों से हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई। मां बगलामुखी जी के निमित्त भी माला मंत्र जाप एवं हवन यज्ञ में विशेष रूप आहुतियां डाली गई। हवन-यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत नवजीत भारद्वाज ने आए हुए मां भक्तों को भगवान के प्रति आस्था के भावों का ब्याख्यान करते हुए कहा कि आस्था वह विश्वास है कि ईश्वर या तो हमारे साथ चलेगा या गोद में लेकर। आस्था का स्थान आपका हृदय है, जिसे आप खुद ही बनाते हैं। आपकी पांचों इंद्रियों से जाने वाला कुछ भी आपकी आस्था को नहीं छू सकता क्योंकि इंद्रियों की पहुंच दिल तक नहीं है। आस्था हृदय की बुद्धिमत्ता है, जबकि विश्वास मन की।
हृदय को किसी सबूत की आवश्यकता नहीं है। हृदय हर अनुभव से अपनी आस्था की जड़े मजबूत करता है। जबकि मन हर अनुभव का इस्तेमाल अपने विश्वास के आधार को कमजोर करने के लिए करता है।
हर सफर की शुरुआत एक आस्था है। यह आस्था कि हम पहुंचेंगे, सफल होंगे। आस्था उस पर विश्वास करने की क्षमता है, जिसे हम देख नहीं सकते, जो अभी हुआ नहीं है, जिसे अभी साबित नहीं किया जा सकता। अगर आस्था का मतलब वह है, जिसे आप देख नहीं सकते, तो उसका इनाम यह होगा कि एक दिन आप उसे देखेंगे, जिसपर आपको हमेशा से विश्वास था।
नवजीत भरद्वाज जी ने आस्था को एक और सरल ढंग से समझाते हुए कहा कि एक बार हनुमान ने श्रीराम से कहा, ‘हे भगवान, ऐसा कुछ है, जो आपसे भी श्रेष्ठ है।’ श्रीराम ने चकित होकर हनुमान से पूछा, ‘वह चीज क्या है?’ हनुमान बोले, ‘हे प्रभु, आपने नाव की मदद से नदी पार की। लेकिन मैंने आपके नाम की शक्ति से पूरा समुद्र पार कर लिया। आपके नाम से ही समुद्र में पत्थर तैरे। इसलिए आपसे श्रेष्ठ आपका नाम है।’
‘आस्था का विषय’ (व्यक्ति, ईश्वर, वस्तु, विचार आदि) नहीं, खुद ‘आस्था’ ही चमत्कार करती है। आस्था का विषय जरिया मात्र होता है। द्रौपदी के लिए ‘कृष्ण’, पैगंबर के लिए ‘अल्लाह’, एकलव्य के लिए ‘द्रोण’, हनुमान के लिए ‘राम’ थे। फिर भी सभी ने अपने जीवन में आस्था की चमत्कारिक शक्ति का अनुभव किया, जिससे साबित होता है कि ‘आस्था का विषय’ नहीं, उस ‘विषय में आस्था’ से चमत्कार होते हैं।
बिना आस्था के आप में डर होगा। लेकिन जब आप आस्था को जानेंगे तो कोई डर नहीं होगा। आस्था और डर एक साथ नहीं रह सकते। विकल्प इंसान की बुद्धिमत्ता से पैदा होते हैं और नतीजे उस ईश्वर की बुद्धिमत्ता से। आस्था यह जानना है कि कभी-कभी हमारी योजना असफल होगी, ताकि वह आपके लिए अपनी योजना लागू कर सके। उसकी योजना आपके लिए हमेशा सही होगी।
इसलिए आप आस्था में यह नहीं पूछते, ‘मेरे साथ यह क्यों हो रहा है?’ लेकिन आप आस्था के साथ यह पूछते हैं, ‘मेरे ईश्वर, मुझे इस सबमें डालकर आप मुझे किस चीज के लिए तैयार कर रहे हैं? इसके पीछे आपका बड़ा उद्देश्य क्या है, जो मैं अब तक नहीं देख पा रहा हूं?’ जो परमशक्ति आपको इस परिस्थिति में लाई, वही बाहर भी निकालेगी। आज इस आस्था के भाव से नवजीत भारद्वाज जी ने आई हुए समस्त संगत को भावविभोर किया। इस अवसर पर राकेश प्रभाकर, बलजिंदर सिंह, समीर कपूर,अमरजीत सिंह,वावा जोशी, नवदीप, उदय,अजीत कुमार,गुलशन शर्मा, अश्विनी शर्मा धूप वाले, मुनीश शर्मा, दिशांत शर्मा,अमरेंद्र शर्मा, मानव शर्मा, बावा खन्ना, विवेक शर्मा, शाम लाल, एडवोकेट राज कुमार, अभिलक्षय चुघ,सुनील,राजीव, राजन शर्मा, प्रिंस, ठाकुर बलदेव सिंह,गौरी केतन, रिंकू सैनी, दिनेश शर्मा, अजय मल्होत्रा, अजीत साहू,प्रवीण, दीपक ,अनीश शर्मा, साहिल,सुनील जग्गी सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर का भी आयोजन किया गया