कोलकाता : बहुत ही दर्दनाक ओडिशा ट्रेन हादसे में अब तक 280 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है और जबकि 1,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं..लेकिन सबसे बड़ी दुख भरी बात यह है की किसी का भाई तो किसी का बेटा और या किसी का पति या किसी की माँ या बहन तक परिवार की आँखों से दूर है,सेंकडो की तादाद मे लाशे पड़ी है,पर पहचान पाना उतना ही मुश्किल हो चूका है लोगो का रो-रो कर बुरा हाल हो चूका है चारो तरफ चीखो की आवाज़े आ रही है, पर कोई कुछ कर नहीं पा रहा। लेकिन जिसको भगवान खुद रखने वाला हो उसे कोई नहीं मार सकता इस भयानक ट्रेन हादसे मे हावड़ा जिले में रहने वाले हेलाराम मलिक के 253 किलोमीटर सफर करने के बाद ओडिशा के बालासोर जिले पहुंचे और मुर्दाघर में पड़े अपने बेटे को मौत के मुंह से निकालकर नई जिंदगी बख्श दी. हेलाराम ने अपने 24 साल के बेटे विश्वजीत को बाहानगा हाई स्कूल में बने अस्थायी मुर्दाघर से निकाला और बालासोर अस्पताल ले गए, इसके बाद वह उसे कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल ले आए.
आपको बता दे की हावड़ा में किराना की दुकान चलाने वाले हेलाराम ने कहा, “मैंने टीवी पर खबर देखी, तो मुझे लगा कि विश्वजीत को फोन करके पूछना चाहिए कि वह सही है या नहीं. शुरुआत में तो उसने फोन नहीं उठाया, लेकिन जब उठाया तो, मुझे दूसरी ओर से मुरझाई हुई-सी आवाज सुनाई दी.” दुर्घटना वाली रात (दो जून) को ही हेलाराम और उनके बहनोई दीपक दास एक एम्बुलेंस में बालासोर के लिए रवाना हो गए.हेलाराम ने कहा, “हम उसका पता नहीं लगा पाए, क्योंकि उसके मोबाइल फोन पर की जा रहीं कॉल का कोई जवाब नहीं मिल रहा था. हम कई अस्पताल गए, लेकिन विश्वजीत का कोई पता नहीं चल पाया. इसके बाद हम बाहानगा हाईस्कूल में बने अस्थायी मुर्दाघर पहुंचे, लेकिन शुरुआत में हमें उसमें जाने नहीं दिया गया. देखते ही देखते कुछ लोगों में कहासुनी हो गई और फिर हंगामा खड़ा हो गया. अचानक मुझे एक हाथ दिखा और मुझे पता था कि यह मेरे बेटे का हाथ है.वह जिंदा था.” हेलाराम बिना वक्त गंवाए अपने ‘लगभग बेसुध’ बेटे को बालासोर अस्पताल ले गए, जहां उसे कुछ इंजेक्शन लगाने के बाद कटक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भेज दिया गया. हेलाराम ने कहा, “उसके शरीर में कई फ्रैक्चर थे और वह कुछ बोल नहीं पा रहा था. मैंने वहां एक बांड पर हस्ताक्षर किए और सोमवार सुबह विश्वजीत को एसएसकेएम अस्पताल के ट्रॉमा केयर सेंटर ले आया.”
जब हेलाराम डॉक्टर से पूछा की ने आप लोगों ने विश्वजीत को मृत क्यों समझ लिया,तो उन्होंने कहा कि विश्वजीत के शरीर ने शायद हरकत करनी बंद कर दी होगी, जिसकी वजह से लोगों ने समझ लिया कि उसकी मौत हो चुकी है.हेलाराम ने कहा, “मैं अपने बेटे को वापस पाने के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं. जब मैंने सुना कि विश्वजीत की मौत हो चुकी है, तो मेरे दिमाग में जो चल रहा था, मैं समझा नहीं सकता. मैं यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि वह अब इस दुनिया में नहीं है और उसे ढूंढता रहा.”