मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में सम्पूर्ण फलदाई मासिक आलौकिक हवन-यज्ञ 28 जनवरी रविवार को
जालंधर के सिद्ध मंदिर मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मां पिंड चौक में मां बगलामुखी जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में मां बगलामुखी धाम के संचालक एवं संस्थापक नवजीत भारद्वाज की देख-रेख में हुआ। सर्व प्रथम मुख्य यजमान नवप्रित बांसल से वैदिक रीति अनुसार गौरी गणेश, नवग्रह, पंचोपचार, षोडशोपचार, कलश, पूजन उपरांत ब्राह्मणों ने आए हुए सभी भक्तों से हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई। मां बगलामुखी जी के निमित्त भी माला मंत्र जाप एवं हवन यज्ञ में विशेष रूप आहुतियां डाली गई।
इस अवसर पर सिद्ध मां बगलगामुखी धाम के सेवादार नवजीत भारद्वाज जी ने आए हुए मां भक्तों को माघ मास के बारे में बताते हुए कहा कि हिंदू कैलेंडर में सभी महीनों का महत्व है, लेकिन माघ मास बहुत खास है। माघ मास 26 जनवरी से शुरू होकर 24 फरवरी 2024 तक रहेगा। इस महीने आने वाली पूर्णिमा पर चंद्रमा मघा नक्षत्र में होता है। इसलिए इस महीने का नाम माघ पड़ा। उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि इस महीने में तीर्थ और पवित्र नदियों के जल में डुबकी लगाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और स्वर्ग मिलता है।
नवजीत भारद्वाज जी ने आए मां भक्तों को माघ महीने की परंपरा के साथ-साथ मनुष्य को भक्ति की कमाई के बारे में ब्याख्यान किया कि जैसे रुपया कमाने वाला मनुष्य संसार वालों को प्यारा होता है वैसे ही भक्ति करने वाला जीव परमपिता प्रभु को प्यारा होता है। यह संसार की रीत है कि रुपया कमाने वाला बेटा अपने माता-पिता को प्यारा होता है । रुपया कमाने वाला एक पति अपनी पत्नी को प्यारा होता है। रुपया कमाने वाला भाई एक बहन को प्यारा होता है। रुपया कमाने वाला पिता अपने पुत्र और पुत्री को प्यारा होता है। यह संसार की रीत है पर प्रभु के यहाँ यह रीत नहीं चलती। प्रभु के यहाँ इससे विपरीत भक्ति की कमाई करने वाला जीव ही प्रभु को प्रिय होता है। संसार में कीर्ति, प्रतिष्ठा पाने के लिए सबसे बड़ा साधन धन बन गया है। संसार उसके पीछे चलता है जिसके पास धन होता है। पर प्रभु के यहाँ यह रीति नहीं चलती। प्रभु उसके पीछे चलते हैं जो प्रभु की भक्ति करता है । प्रभु धन से कभी आकर्षित नहीं होते, प्रभु केवल और केवल भक्ति से ही रीझते हैं। संसार में आकर अगर हमने संसार को खुश करने के लिए केवल धन कमाया तो हमने मात्र संसार सागर में गोता लगाकर कंकड़ ही अर्जित किए। पर अगर हमने मानव जीवन को धन्य करने के लिए संसार में आकर भक्ति की कमाई की तो ही हमने संसार सागर में गोता लगाकर तह से मोती लाने में सफलता पाई। इसलिए मनुष्य जीवन में आकर जो प्रभु को सबसे प्रिय है उसी की कमाई करनी चाहिए और वह कमाई है भक्ति की । इसलिए अपना जीवन भक्तिमय बनाना चाहिए क्योंकि इसी में हमारे मानव जीवन की सफलता है।
इस अवसर पर रविन्द्र बांसल, रोहित भाटिया, अवतार सैनी,एडवोकेट राज कुमार,जानू,राकेश प्रभाकर, रिंकू सैनी ,बलजिंदर सिंह, अजीत कुमार,केतन शर्मा,अमन सुक्खा,समीर कपूर,अमरजीत सिंह,चेतन , मुनीश,हरश ,मोंटी,नवदीप, उदय,अजीत कुमार,मुनीश शर्मा, दिशांत शर्मा,अमरेंद्र कुमार शर्मा, मानव शर्मा, शंकर,हंस राज,बावा खन्ना, विवेक शर्मा, शाम लाल, बावा जोशी ,मंदिप ,राजेश , रविन्द्र ,अशोक,अमित,विनोद खन्ना,अभिलक्षय चुघ,सुनील,राजीव, राजन शर्मा, प्रिंस, ठाकुर बलदेव सिंह,दिनेश शर्मा, अजय,अजय मल्होत्रा, विक्की ,अजीत साहू,प्रवीण, दीपक ,अनीश शर्मा, दिशांत शर्मा,विजय,सौरभ,मान, बलदेव राज , प्रिंस महाजन,साहिल,सुनील जग्गी सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर का भी आयोजन किया गया