चन्नी का नाम लगभग फाइनल,केवल हाईकमान की मोहर बाक़ी
चौधरी परिवार को लग सकता है झटका
जालंधर 21, मार्च ( ब्यूरो ) देशभर में लोकसभा चुनाव को लेकर बिगुल बज चूका है हर पार्टी चुनावी दंगल बाहुबली नेता को उतारना चाह रही है। वही पंजाब में कांग्रेस की राह मुश्किल होती दिखाई दे रही है। जालंधर लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बनी हुई है, 2023 के उपचुनाव में कांग्रेस ने 24 वर्ष बाद जालंधर से सीट हारी है। कांग्रेस चौधरी संतोख सिंह के निधन के बाद कांग्रेस ने सहानुभूति के वोट के लिए उनकी पत्नी कर्मजीत कौर को उपचुनाव में उतारा था, लेकिन कांग्रेस का दांव काम नहीं आया। कांग्रेस से बगावत कर आम आदमी पार्टी मे शामिल हुए सुशील रिंकू ने कर्मजीत कौर को 58 हजार से अधिक मतों के अंतर से हरा कांग्रेस से सीट छीन ली थी। अब देखना होगा की इस बार कांग्रेस हाईकमान चन्नी या करमजीत कौर में से किसको मैदान में उतारेगी
कई बड़े नेता पार्टी को कह चुके है अलविदा
पंजाब में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होते ही कई बड़े चहेरे पार्टी से किनारा कर गए लोकसभा चुनाव आते ही जीपी ने पार्टी को छोड़ा और आप ज्वाइन की, जिसके बाद आप ने वीरवार को उनको लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया। वहीं कैप्टन की पत्नी महारानी परनीत कौर ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया और भाजपा का दामन थाम लिया। वही दूसरी तरफ चब्बेवाल से विधायक और कांग्रेस विधायक दल के उपनेता डा. राजकुमार चब्बेवाल भी पार्टी को अलविदा कह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए
उपचुनाव में कांग्रेस ने 24 वर्ष बाद जालंधर से सीट हारी है।
जालंधर लोकसभा सीट से उम्मीदवार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अपने गढ़ को फिर से प्राप्त करने के लिए इस बार कांग्रेस घेराबंदी में लगी हुई है। जालंधर लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बनी हुई है, 2023 के उपचुनाव में कांग्रेस ने 24 वर्ष बाद जालंधर से सीट हारी है। इस सीट से टिकट के लिए पूर्व सांसद स्व. चौधरी संतोख सिंह की पत्नी कर्मजीत कौर और बेटे विक्रमजीत सिंह चौधरी ने पूरा जोर लगा रखा है। वहीं दूसरी तरफ राजनीती के पंडितो द्वारा हाईकमान पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी जालंधर से लोकसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है। वही स्थानीय कांग्रेस के नेताओं का कहना है की जालंधर लोकसभा से चन्नी का नाम लगभग फाइनल है। केवल हाईकमान की ओर से घोषणा का इंतजार है। वही दूसरी तरफ उनका कहना है की चन्नी अगर कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर जालंधर से मैदान में आते हैं तो मुकाबला कड़ा और रोमांचक होगा। हालांकि अगर चन्नी जालंधर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते है तो कांग्रेस कुछ वरिष्ठ नेता बगावत करते हुए भी दिखाई देंगे। जालंधर लोकसभा सीट के तहत आने वाले विधानसभा हलकों में डेरों की भूमिका अहम रहती है। माना जाता है कि चन्नी की डेरों में अच्छी पैठ है। अगर कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुशील कुमार रिंकू का मुकाबला करना है तो डेरों का साथ बहुत जरूरी हो जाता है। यह वोट बैंक भी चन्नी के हक़ में जा सकते हैं।
रविदासिया समाज जालंधर लोकसभा सीट में निभाता है बड़ी भूमिका
वही दूसरी तरफ डेरो की बात करे तो पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी और सुशिल रिंकू दोनों रविदासिया समाज का प्रतिनिधित्व करते आ रहे है। जालंधर में स्थित बल्लां डेरा सचखंड रविदास बिरादरी का महत्वपूर्ण स्थान है। कुछ दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी डेरे में संत निरंजन दास से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। अगर चन्नी को जालंधर लोकसभा से उमीदवार बनाया जाता है तो खुद चन्नी की साख भी दांव लग जाएगी जालंधर में कांग्रेस के सामने अपने गढ़ जालंधर सीट को बचाने की चुनौती है। उन्हें भी जीत दर्ज करना बहुत जरूरी हो जाएगा।